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Friday 15 January 2021

नागपुर के रहने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल ने इंडियन आर्मी के लिए तैयार किया यह जबरदस्‍त हथियार, खर्च हुए 50000 रुपये

 

भारत ने पहली स्वदेशी 9 एमएम मशीन पिस्तौल अस्‍मी को डेवलप करने में कामयाबी हासिल की है. इस पिस्‍तौल को डिफेंस रिसर्च एंड डिजाइन ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और इंडियन आर्मी ने साथ मिलकर डेवलप किया है. इस देसी हथियार का डिजाइन और इसके डेवलपमेंट की जिम्‍मेदारी मध्‍य प्रदेश के इंफ्रेंटरी स्कूल, महो और डीआरडीओ के आर्मामेन्ट रिसर्च एंड डवलेपमेंट इस्‍टैब्लिशमेंट (एआरडीई), पुणे की तरफ से अपनी विशेषज्ञताओं का उपयोग करते हुए किया गया है. इस पिस्‍तौल को लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद बंसोद ने तैयार किया है.

सिर्फ 4 माह के अंदर बनी मशीन पिस्‍तौल

यह पिस्‍तौल इस मायने में और ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि इसे रिकॉर्ड चार माह के अंदर तैयार कर लिया गया है. मशीन पिस्तौल इनसर्विस 9 एमएम हथियार को दागता है. इसका ऊपरी रिसीवर एयरक्राफ्ट ग्रेड एल्‍युमिनियम से और निचला रिसीवर कार्बन फाइबर से बना है. ट्रिगर और बाकी हिस्‍सों की डिजाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग में 3डी प्रिटिंग प्रक्रिया का इस्‍तेमाल किया गया है. सशस्त्र बलों में हैवी वेपन डिटेंचमेंट, कमांडरों, टैंक और पायलट, डिस्पैच राइडर्स, रेडियो या राडार ऑपरेटरों, क्‍लोज कॉम्‍बेट, एंटी-टेरर ऑपरेशंस और दूसरे फील्‍ड एक्शन में पर्सनल वेपन के तौर पर इसकी क्षमता काफी कारगर है.

क्‍यों रखा गया नाम अस्‍मी

इस पिस्‍तौल का प्रयोग केंद्रीय और राज्य पुलिस संगठनों के साथ-साथ वीआईपी सुरक्षा ड्यूटियों तथा पुलिसिंग में किया जा सकता है. हर मशीन पिस्तौल की प्रोडक्‍शन कॉस्‍ट 50 हजार रुपये के अंदर है. माना जा रहा है कि भारत इसे दूसरे देशों को भी निर्यात कर सकता है. पिस्तौल का नाम 'अस्मी' रखा गया है जिसका अर्थ गर्व, आत्मसम्मान और कठिन परिश्रम है. सरकार का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को ध्यान में रखते हुए यह कदम आत्मनिर्भरता के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा और सेना औरअर्धसैनिक बलों में इसे तेजी से शामिल किया जाएगा.

टीचर के बेटे हैं लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद

पिस्‍तौल को डिजाइन करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद बंसोद नागपुर के रहने वाले हैं. शहर के लोग इस बात को जानकारी काफी गौरान्वित महसूस कर रहे हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद को स्‍वदेशी मशीन पिस्‍तौल को डेवलप करने का आइडियार करीब छह माह पहले आया था. लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद के पिता अनिल और मां अंजिल बंसोद, दोनों ही केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाते हैं और नागपुर में ही रहते हैं. काफी माथापच्‍ची के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल के दिमाग में अस्‍मी का आइडिया आया था. जब डिजाइन रेडी हो गया तो उन्‍होंने पुणे स्थित आर्मामेन्ट रिसर्च एंड डवलेपमेंट इस्‍टैब्लिशमेंट (एआरडीई) से संपर्क किया. आज लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद की मेहनत सबके सामने है.

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