जाम आँखों से पिलाना छोड़ दें।
तीर वो हमपे चलाना छोड़ दें।।
क्या करेंगें वो सता कर इस तरह।
दर्द देकर दिल दुखाना छोड़ दें।।
ये तो मौसम है बहारों का भंवर।
रूठकर हमको डराना छोड़ दें।।
जी ले हम भी मुस्कुराकर पल दो पल।
ख्वाब यूं झूठे दिखाना छोड़ दें।।
पान खाना दिल जलाना और यूं।
रात आँखों में बिताना छोड़ दें।।
हम नही आयेंगे उनके ख्वाबों में।
आस का दीपक जलाना छोड़ दें।।
जी लिये मर मर के वो भी जिन्दगी।
मौत से आँखें मिलाना छोड़ दें।।
किस तरह हम बेरूखी उनकी सहें।
वो मेरी महफिल में आना छोड़ दें।।
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