राष्ट्रीय समाचार
जब सपा के विधायकों और समर्थकों की भीड़ करने वाली थी मायावती पर हमला!
लखनऊ। 15 जनवरी को यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती का 65 वां जन्मदिन है। आज हम आपको मायावती से जुड़ी उस घटना के बारे में बता रहे हैं जो पिछली पीढ़ी के अक्सर ज़ुबान पर रहती है। हालांकि वर्तमान पीढ़ी के युवाओं को इस बारे में कुछ खास नहीं मालूम।
घटना 2 जून 1995 की है, मायावती के जीवन का यह वो स्याह दिन है, जो शायद वो कभी न भूल पाएं। 1995 में मायावती अनुसूचित जाति की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन इससे पहले उसी साल सपा और बसपा गठबंधन ने चुनाव जीते थे। जिसमें सपा को 109 और बसपा को 67 सीटें मिली थीं।
इसके बाद बसपा के समर्थन से मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। हालांकि, 2 जून 1995 को मनमुटाव के कारण, बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इस वजह से सरकार अल्पमत में आ गई थी।
मायावती के जीवन पर आधारित अजय बोस की किताब 'बहनजी' के मुताबिक, नाराज सपा कार्यकर्ता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंचे, जहां मायावती कमरा नंबर 1 में थीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कथित सपा विधायकों और समर्थकों की उन्मादी भीड़ मायावती पर हमला करने पर आमादा थी। किसी तरह मायावती ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था और बाहर से सपा विधायक और समर्थक दरवाजा तोड़ने में लगे थे।
हालांकि, उसी समय, दबंग छवि के भाजपा विधायक ब्रम्हदत्त द्विवेदी भी पहुंचे थे और सपा विधायकों और समर्थकों को पीछे धकेल दिया था। ब्रम्हदत्त द्विवेदी को मायावती खुद अपना भाई कहने लगी थीं।
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